और हम महसूस कर सकते हैं कि यह भी निरपेक्ष आदेश का ही एक हिस्सा है।
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और हम महसूस कर सकते हैं कि यह भी निरपेक्ष आदेश का ही एक हिस्सा है।
4.
वह हमारे भीतर का निरपेक्ष आदेश (categorical Imperative) है, हमारी चेतना का उन्मुक्त आदेश।
5.
दूसरी ओर कांट ने भी कहा कि निरपेक्ष आदेश की दृष्टि में सारे मनुष्य एक समान साध्य हैं, कोई मनुष्य भी साधन मात्र नहीं।
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दूसरी ओर कांट ने भी कहा कि निरपेक्ष आदेश की दृष्टि में सारे मनुष्य एक समान साध्य हैं, कोई मनुष्य भी साधन मात्र नहीं।
7.
भौतिकी बाहर की ओर देखती है, तर्क स्वयं चिंतन को चिंतन का विषय बनाता है, नीति जानना चाहती है कि जीवन को व्यवस्थित करने के लिए कोई निरपेक्ष आदेश ज्ञात हो सकता है या नहीं।
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भौतिकी बाहर की ओर देखती है, तर्क स्वयं चिंतन को चिंतन का विषय बनाता है, नीति जानना चाहती है कि जीवन को व्यवस्थित करने के लिए कोई निरपेक्ष आदेश ज्ञात हो सकता है या नहीं।
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भौतिकी बाहर की ओर देखती है, तर्क स्वयं चिंतन को चिंतन का विषय बनाता है, नीति जानना चाहती है कि जीवन को व्यवस्थित करने के लिए कोई निरपेक्ष आदेश ज्ञात हो सकता है या नहीं।
10.
कांट के विचार में मानव प्रकृति में प्रमुख अंश ' नैतिक भावना ' का है, वह अनुभव करता है कि कर्त्तव्यपालन की मांग शेष सभी मांगों से अधिक अधिकार रखती है, नैतिक आदेश ' निरपेक्ष आदेश ' है।